बेबाक कलम को दबाने की कोशिशों को कोर्ट का झटका, विधायक को हाईकोर्ट से नोटिस जारी

By: Amit Pandey, Asstt. Editor-ICN Uttarakhand

नैनीताल। लोकतंत्र में कलम को तलवार से ज्यादा ताकतवर कहा गया है लेकिन बेबाक कलम को दबाने की कोशिश, विद्रूप राजनीति करती रहती है। दि संडे पोस्ट में अपनी बेबाक लेखनी से उत्तराखंड के राजनीतिज्ञों की विफलताओं को बेपर्दा कर लगातार सामने लाने वाले निर्भीक सम्पादक अपूर्व जोशी और खोजी पत्रकार आकाश नागर ने डीडीहाट में लगभग दो दशक तक विधायक और कैबिनेट मंत्री रहने के बाद भी स्थानीय विधायक द्वारा चंद ठेकेदारों का विकास किए जाने और अधिकांश विकास योजनाओं के अधर में लटके रहने को लेकर, विधान सभा यात्रा सीरीज के तहत स्थानीय लोगों के बयानों के आधार पर विकास की सच्चाई प्रकाशित की थी। लेकिन स्थानीय विधायक को सच्ची कलम नागवार गुजरी और उन्होंने इन पत्रकारों के विरुद्ध पिथौरागढ़ में मानहानि का आपराधिक केस दर्ज कर दिया, जिस पर पत्रकारों को जाकर अपनी जमानत करानी पड़ी परंतु समझौते का प्रस्ताव और दबाव मिलने पर भी उन्होंने विधायक के साथ समझौता नहीं किया। पुनः मजिस्ट्रेट के न्यायालय में मुकदमे में विधायक के परिवाद पर वारंट जारी कर दिए गए थे जिस पर बेबाक पत्रकार अपूर्व जोशी और उनके साथियों द्वारा उच्च न्यायालय की शरण ली गई जिसमें उनकी सशक्त पैरवी दुष्यन्त मैनाली ने की और उच्च न्यायालय ने लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की महत्वता के आधार पर मानहानि के अपराधिक मुकदमे पर उक्त पत्रकारों के विरूद्ध कार्यवाही पर रोक लगा दी, और विधायक को इस मामले में नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।

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